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भारत मे निर्धनता: कारण व उपाय


भारत मे निर्धनता एक चुनौती


भारत मे करोड़ों लोगों को निर्धनता से बाहर निकालना स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, महात्मा गांधी ने कहा था भारत सही मायने में तभी स्वतंत्र होगा, जब यहां का सबसे निर्धन व्यक्ति भी मानवीय व्यथा से मुक्त होगा।
हम अपने दैनिक जीवन में बहुत से लोगों को देखते हैं और सोचते हैं कि वह कितने निर्धन है यह निर्धन गांव के भूमिहीन श्रमिक भी हो सकते हैं और शहरों की भीड़ में झुग्गियों में रहने वाले, ढ़ावों में काम करने वाले, सडको पर भीख मांगने वाले भिखारी भी हो सकते हैं। वास्तव में देश का प्रत्येक चौथा व्यक्ति निर्धन है, वर्ष 2011 – 12 में भारत में 27 करोड लोग निर्धनता में जी रहे हैं यह देश की सबसे बड़ी चुनौती को दर्शाता है।
निर्धनता का अर्थ भूखमरी और आश्रय का ना होना है, यह ऐसी स्थिति है जहां माता पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दिला पाते और बीमार ग्रस्त व्यक्ति का इलाज नहीं करवा पाते।
भारत मे निर्धनता के कारण:-
भारत में व्यापक निर्धनता के अनेक कारण हैं, शुरुआत में ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने हस्तशिल्प कला को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप रोजगार के अवसर घटे और आय की वृद्धि दर में गिरावट आई। इसके साथ-साथ जनसंख्या में वृद्धि प्रति व्यक्ति आय दर का कारण बना।
सिंचाई और हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्र में रोजगार का सृजन हुआ, लेकिन यह प्रभाव भारत के कुछ भागों तक ही सीमित रहा। लोगों को पर्याप्त रोजगार न मिलने के कारण शहरों में रिक्शा चालक, विक्रेता, गृह निर्माण श्रमिक, घरेलू नौकर आदि के रूप में कार्य करना पड़ा। अनियमित और कम आय के कारण यह लोग महंगे घरों में नहीं रह सकते थे, इसलिए ये शहर में झुग्गी बना कर रहने लगे। निर्धनता की समस्या जो मुख्य रूप से एक ग्रामीण समस्या थी वह नगरीय क्षेत्र की भी विशेषता बन गई।
ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सुधार जैसे प्रमुख नीति पहल को ज्यादातर सरकारों ने प्रभावी ढंग से नहीं किया। इसलिए भारत के भूमि संसाधनों की कृषि की कमी निर्धनता का एक प्रमुख कारण है, इसके अलावा सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक कारण भी निर्धनता के लिए उत्तरदायित्व हैं। छोटे किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशको जैसे कृषि आगत आदि की खरीदारी के लिए धनराशि की आवश्यकता पड़ती है इसके लिए वह कर्ज लेते हैं और निर्धनता के चलते पुना: भुगतान करने में असमर्थता के कारण ऋण ग्रस्त हो जाते हैं।
भारत मे निर्धनता उन्मूलन के उपाय
भारत मे निर्धनता उन्मूलन भारत की विकास का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है, भारत सरकार की वर्तमान निर्धनता निरोधी की रणनीति को दो कारको पर देखते हैं-
  1. आर्थिक समृद्धि को प्रोत्साहन
  2. लक्षित निर्धनता निरोधी
सरकार के ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश से बच्चों को लड़कियों सहित स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाना किया जाना चाहिए। निर्धन लोगों का एक बड़ा भाग गांव में रहते हैं और कृषि पर आश्रित हैं इन परिस्थितियों में निर्धनता निरोधी कार्यक्रमों की स्पष्ट आवश्यकता है। यदि ऐसी अनेक योजनाएं हैं जिनको प्रत्यक्ष रूप से निर्धनता कम करने के लिए बनाया गया है।
लेकिन सही मायने में यह योजनाएं सिर्फ नाम के लिए हैं वास्तविकता कुछ और है अगर आप किसी गांव से रहते है , तो आप जानते होंगे कि इन्हीं योजनाओं का कितना लाभ गांव को होता है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना अधिनियम 2005 मनरेगा
  • प्रधानमंत्री रोजगार योजना
  • स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
  • प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना
  • अंत्योदय अन्न योजना
भारत मे गरीबी जैसी चुनौतियों को शिक्षा और कृषि को प्रमुख रूप से बढ़ावा देने पर ही सामना किया जा सकता है शिक्षा और कृषि ही ऐसे दो हथियार हैं जो निर्धनता को समाप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष :-
निर्धनता को परिभाषित करना सहज नही है I लोगों के लिए निर्धनता की आधिकारिक परिभाषा, उनके केवल एक सीमित भाग पर लागू होती है निर्धनता की अवधारणा का विस्तार, मानव निर्धनता तक होना चाहिए। हो सकता है कि बड़ी संख्या में लोग अपना भोजन जुटाने में समर्थ हो लेकिन क्या उनके पास शिक्षा है या घर है या शेष स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा है यह रोजगार की सुरक्षा है या आत्म- विश्वास है क्या वह जाति और लिंग आधारित भेदभाव से मुक्त है क्या बाल श्रम की प्रथा अब भी प्रचलित है विकास के साथ निर्धनता की परिभाषा भी बदलती है।

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